SIDH NATH MAHADEV MANDIR ,ARA [BIHAR]
सिद्धनाथ महादेव मंदिर बहोत ही प्राचीन और सिद्ध मंदिर है ,कहा जाता है की ये मंदिर लगभग १५०० ई ० पूर्व अस्थापित किया गया था। लोगो का मानना है की जो भी यहां आके सच्चे मन से मनोकामना मांगता है प्रभु उसकी मनोकामना सिद्ध करते है।
सालो से यहां महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। लोग इस मेले का भरपूर आनंद उठाते है। रात में भक्तजन शिव का भजन कीर्तन करते है। उस दिन का दिन बड़ा ही मनोरम और भक्तिमय लगता है। ऐसा लगता है मनो साक्छात शिव वहा विराजमान हों।
ये उस मंदिर में इस्थित भगवान शिव के प्रिय सेवक नंदी बैल की प्रतिमा है।
सिद्धनाथ मंदिर का मुख्य द्वार।
यह मंदिर आरा और पुरे देश का एक ऐतिहासिक धरोहर है।
माना जाता है की इस मंदिर की अस्थापना एक बहोत ही सिद्ध महंत श्री काम्लेश्वर जी ने किया था। इसके पीछे की घटना बताई जाती है की वहा से गंगा नदी बहती थी और महंत श्री काम्लेश्वर जी वहीं गंगा के घाट पे प्रभु शिव की पूजा किया करते थे। वे रोज शिवलिंग बनाते और पूजा करते लेकिन प्रतिदिन गंगा की धारा शिवलिंग को बहा देती और उन्हें प्रतिदिन शिवलिंग बनाना पड़ता। रोज -रोज शिवलिंग के बह जाने से परेशान होकर एक दिन महंत जी गंगा की घाट पर बैठ गए और तपस्या करने लगे। भगवान शिव ने महंत जी की मनोकामना को सिद्ध कर दिया ,महंत जी के द्वारा बनाया हुवा रेत का शिवलिंग ठोस पत्थर का बन गया और उसे अब गंगा की कोई धरा बहा नहीं सकती थी। वही शिवलिंग आज भी इस मंदिर में इस्थित है।
फागुन में होने वाले महाशिवरात्रि के दिन यहां भगवान शिव की भव्य पुजा अर्चना की जाती है। इस दिन सिद्धनाथ मंदिर में लोगो का जनसैलाब देखने को मिलता है। इस दिन सब लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान शिव की पूजा करने पहुंचते है।सालो से यहां महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। लोग इस मेले का भरपूर आनंद उठाते है। रात में भक्तजन शिव का भजन कीर्तन करते है। उस दिन का दिन बड़ा ही मनोरम और भक्तिमय लगता है। ऐसा लगता है मनो साक्छात शिव वहा विराजमान हों।
ये उस मंदिर में इस्थित भगवान शिव के प्रिय सेवक नंदी बैल की प्रतिमा है।
सिद्धनाथ मंदिर का मुख्य द्वार।
यह मंदिर आरा और पुरे देश का एक ऐतिहासिक धरोहर है।
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